फिर से

फिर से वो शाम आएगी,
जहां तेरी यादें ना होंगी,
जैसे होती थी शामें पहले रोशन,
कुछ यार होंगे, कुछ दिलदार होंगे,
पर तेरा ज़िक्र ना होगा वहां।
होंगी खुशियां तमाम, और कहीं जाएंगी कहानियां भी,
पर उनके बीच तेरी कहानी ना होगी।

होगी मुस्कान उस चेहरे पे वैसे ही,
जैसे होती थी सालों पहले,
मायूसीयत के उस मंजर से परे,
अपने दिल मे खुशियां भरे,
उस पल मे कहीं खो जाना है उसे,
याद तु फिर ना आना है उसे।

Comments

Popular Posts